कर्म करो, हार या जीत दो पहलू हैं, हार आपको आगे बढ़ने के नये-नये अवसर प्रदान करती है कर्म करो, हार या जीत दो पहलू हैं, हार आपको आगे बढ़ने के नये-नये अवसर प्रदान...
फिर खुद को ही खुदा क्यों समझता है इंसान। फिर खुद को ही खुदा क्यों समझता है इंसान।
सफलता-असफलता से बेपरहवाह आगे बढ़ते चले जाने की कविता सफलता-असफलता से बेपरहवाह आगे बढ़ते चले जाने की कविता
सादा सा सवाल है जिदंगी जवाब मिले ना मिले यूँ ही ये चलने वाली। सादा सा सवाल है जिदंगी जवाब मिले ना मिले यूँ ही ये चलने वाली।
एक बिना मकसद का जीवन नहीं जीना मुझे इस तरह एक बिना मकसद का जीवन नहीं जीना मुझे इस तरह
असफलता के बार-बार प्रयास तुम्हे सफलता तक पहुंचाते हैं।। असफलता के बार-बार प्रयास तुम्हे सफलता तक पहुंचाते हैं।।